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अयोध्या मामला : हिंदू पक्ष की दलील, अयोध्या में राम मंदिर बनाना इसलिए है जरूरी

अयोध्या मामले में मंगलवार को 35वें दिन की सुनवाई हुई. अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों की दलील पूरी होने के बाद हिंदू पक्षकारों की ओर से वकील परासरन ने जवाब शुरू किया. परासरन ने रामलला की तरफ से पक्ष रखते हुए वकील परासरन ने भगवत गीता के कुछ श्लोक पढ़े और एक न्यायिक व्यक्ति के रूप में माने जाने वाले स्थान पर जोर दिया...
हिंदू पक्ष ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की बताई जरूरत. (फोटो : गूगल)
अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में वकील के. परासरन ने राजीव धवन की दलील का जवाब देते हुए कहा कि रामनवमी का त्योहार श्रीराम के जन्मदिन के तौर पर देश भर में मनाया जाता है, लेकिन ये त्यौहार अयोध्या यानी भगवान राम के जन्मस्थान पर नहीं मनाया जाता। लिहाजा राम जन्मस्थान पर मंदिर बनना जरूरी है, ताकि वहां जन्मदिन मनाया जाना जा सके। इस पर राजीव धवन ने कहा कि मेरे सारे ग्रह राहु और केतु के बीच हैं, इसलिए मेरा बुरा वक़्त चल रहा है। शनि भी मुझ पर भारी है। भारत में ज्योतिष विज्ञान सूर्य और चंद्र, और जन्म के सही वक्त पर आधारित है। हम ग्रहों की गति के मुताबिक हर रोज की घटनाओं को लेकर भविष्यवाणी करते हैं, लेकिन क्या भगवान राम के केस में ऐसा है? क्या हमें उनके जन्मस्थान या जन्म की तारीख के बारे में पुख्ता तौर पर कुछ पता है। नहीं ना?
अयोध्या मसले पर 35वें दिन हुई सुनवाई. (फोटो : गूगल)
सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ के जस्टिस बोबड़े ने परासरन से पूछा कि क्या ज्योतिष में श्रीराम के जन्म के वक्त को लेकर कुछ कहा गया है? परासरन ने कुछ इतिहासकारों का हवाला दिया, जिन्होंने श्रीराम के जन्म के वक्त को लेकर टिप्पणी की थी। के परासरन ने आगे अपनी दलीलों में ये साफ किया कि एक ही जगह पर दो न्यायिक व्यक्ति साथ-साथ हो सकते हैं। एक मूर्ति के रूप में और एक राम जन्मभूमि के रूप में। सुप्रीम कोर्ट ने एसजीपीसी बनाम सोमनाथ दास के मामले में ये साफ किया है। परासरन ने कहा कि देवताओं की मूर्तियां ही देवता का रूप नहीं है, ऐसा विश्वास है कि देवता अपने आप को किसी भी रूप में प्रकट कर सकते हैं। शारीरिक या कथित किसी भी रूप में। परासरन ने दूसरे फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि हिन्दू मन्दिर को न्यायिक व्यक्ति माना गया है।
हिंदू पक्ष की ओर से दिया जा रहा है जवाब. (फोटो : गूगल)
राजीव धवन ने कहा कि कोर्ट एक नई बहस की तरफ जा रहा है, यह मंदिर के नामकरण के बारे में नही है, मैं इस मामले में कोर्ट को एक लिखित नोट दूंगा। जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि देवता कई हो सकते हैं, लेकिन न्यायाधिकारी व्यक्तित्व का श्रेय मंदिर के प्रमुख देवता को जाता है। इस पर परासरन ने कहा कि मंदिर में एक प्रमुख देवता होता है, लेकिन उनकी पूजा अनेक रूपों में होती है। हम न्यायालय को न्याय का मंदिर कहते हैं। हमारे पास कई न्यायाधीश हैं, लेकिन हम पूरे को एक संस्था न्यायालय कहते हैं। जस्टिस बोबडे ने कहा कि इनमें से कुछ प्रमुख देवता होते हैं और अन्य भी होते हैं। परासरन ने कहा कि वहां पर दो से ज्यादा न्यायिक व्यक्ति होंगे। राजीव धवन ने कहा कि सिर्फ कुछ ट्रेवलर के आधार पर यह नही कहा जा सकता है कि वहां पर मंदिर था। हिंदुओं ने वहां पर पूजा इस स्थान से शुरू की। इस पर जस्टिस भूषण ने पूछा कि जो जन्मस्थान है, पूजा वहां की होगी या भगवान राम की? यानी कि न्यायिक व्यक्ति एक होंगे या दो?
वकील परासरन ने रखी दलील. (फोटो : गूगल)
वकील के परासरन ने कहा कि लोगों के विश्वास के साथ पूजास्थल को मंदिर कहा जा सकता है। मंदिर पूजा स्थान के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामान्य शब्द है। परासरन ने कुड्डालोर मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां भी कोई मूर्ति नहीं है और केवल एक दीया जलता रहता है, जिसकी पूजा की जाती है। राजीव धवन ने परासरन की दलील पर टोकते हुए कहा कि इनके सभी उदाहरण में मंदिर था, यह एक मंदिर के रूप में बताया गया है। परासरन ने कहा कि अगर लोगों को विश्वास है कि किसी जगह पर दैव्य शक्ति है तो इसमें न्यायिक व्यक्ति माना जा सकता है, जिसका दिव्य अभिव्यक्ति से कोई अंतर न हो। वकील वैद्यनाथन ने मुस्लिम पक्ष द्वारा की गई बहस पर एक नोट कोर्ट में दिया। राजीव धवन ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गयी ऑब्जर्वेशन के लिए मुसलमानों को टारगेट किया जाता था। वैद्यनाथन ने कहा कि जब एक बार साबित हो गया कि वहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था तो वहां पर किसी भी मूर्ति की जरूरत नहीं है।
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